लेखनी कहानी -12-Apr-2022 शोर्ट स्टोरी लेखन # इस हाथ दें उस हाथ लें
शर्मा जी अपने बेटे मयंक के साथ प्लेटफार्म पर बैठे गाड़ी का इंतजार कर रहे थे । गाड़ी डेढ़ घंटे लेट थी ये बात उन्हें प्लेटफार्म पर आकर पता चली।सात साल का मयंक बड़ा उत्सुक था अपनी दादी के पास जाने के लिए। लेकिन वह परेशान हो रहा था किसी का दुःख देखकर ।उसके थोड़े सी दूरी पर एक भिखारिन , फटेहाल ,मैली कुचैली दर्द से कराह रही थी। मयंक बार बार उसे देखकर बेचैन हो रहा था।उसने शर्मा जी से पूछा,"पापा ये बूढ़ी अम्मा क्यों कराह रही है उन्हें कोई तकलीफ़ है क्या?"
शर्मा जी अपने बेटे को समझाते हुए बोले,"बेटा शायद उसके शरीर मे कही दर्द है ।"
"पापा चलों ना इसकी मदद करते है ट्रेन आने मे अभी समय है ।इस अम्मा को दवाई दिला लाते है ।"
शर्मा जी खींज कर बोले,"बेटा इसे कोई दर्द नही है ये नौटंकी कर रही है हम यात्रियों से पैसे ऐंठने के लिए।"
मयंक बोला," नही पापा इन्हें कुछ तो हुआ है ।आप और मम्मी ही तो कहते हो कि जरूरत मंदो की मदद करों और अब आप ही पीछे हट रहे हो।"
जब मयंक ने देखा उसके पापा का कोई मूड़ नही है उस बूढ़ी अम्मा का इलाज कराने का तो वह दौड़कर उसके पास गया। निस्संदेह वो भिखारिन बहुत मैली कुचैली थी पर फिर भी मयंक ने हाथ लगाकर देखा तो पाया उसे बहुत तेज बुखार है।वह जोर जोर से अपने पापा को आवाज लगाने लगा ,"पापा जल्दी आओ।इनको बहुत तेज बुखार है।आप आओ तो सही । इन्हें डाक्टर के पास ले चलते है।"
शर्मा जी को आज अपना ही पढ़ाया पाठ बुरा लग रहा था उन्हें पता था मयंक जिद्दी है अगर उसने ठान लिया तो ठान लिया।वे बेमन से उस भिखारिन को लेकर डाक्टर के पास गये । दवाईयां दिलाई ।एक खुराक वही डाक्टर के पास ही ले ली उस भिखारिन ने ।जब दवा का असर हुआ और उसके बदन का दर्द कम हुआ तो वो आशीर्वाद की झड़ी लगाने लगी ।"भगवान तुम दोनों को सुखी रखे,जिस काम जा रहे हो वो पूरा हो,दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की करो।"
जैसे ही शर्मा जी उस भिखारिन को लेकर प्लेटफार्म पर पहुंचे सभी यात्रियों ने जिन्होंने उन्हें जाते देखा था उस भिखारिन के साथ वे सब मिलकर तालियों से स्वागत करने लगे।सब के मुंह पर यही था "भगवान ऐसा बेटा सब को दे।"
इतने मे ट्रेन आ गयी ।वे दोनों नैनीताल जा रहे थे शर्मा जी की मां की तबीयत ठीक नही थी वो आइसीयू मे थी।जब वे आधे रास्ते पहुंचे तो ट्रेन मे गहमागहमी हो गयी तभी टीटी ने आकर बताया कि आज तो पता नही कौन भाग्यशाली आदमी ट्रेन मे बैठा था अभी तीन डिब्बे पटरी से उतरते उतरते बचे है।सबने भगवान को धन्यवाद दिया।जब शर्मा जी नैनीताल पहुंचे तो खुशखबरी मोबाइल पर उनकी पत्नी ने दी,"आपके जो पैसे काफी दिनों से फंसे पड़े थे एक आदमी के पास वो दे गया है।"
जब अस्पताल पहुंचे तो पता चला उनकी मां की तबीयत अब ठीक है उन्हें आईसीयू से निकाल कर प्राइवेट रूम मे ले जा रहे है।
शर्मा जी ने बेटे को अपनी बांहों मे भर लिया ।और प्यार से उसे निहारने लगे।मन ही मन सोचते हुए "हे राम देख तेरी माया।तूने तो वही काम कर दिया इस हाथ दे ,उस हाथ लें।जरा सी मदद के लिए इतने पुरस्कारों से नवाजा है मुझे।तेरा लाख लाख धन्यवाद।
जोनर# प्रेरक
Archita vndna
10-May-2022 09:11 PM
Good story
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Farida
10-May-2022 07:59 PM
Wonderful
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Sachin dev
10-May-2022 06:35 PM
Well done
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